PGIMER celebrated Legacy of Glorious 50 Years of Renal Transplant

1973 में PGI में हुआ था पहला रीनल ट्रांसप्लांट, 50 वर्षों में हुए 4700 सफल ट्रांसप्लांट 

PGIMER

PGIMER celebrated Legacy of Glorious 50 Years of Renal Transplant

साईमलटेनियस पैंक्रियाज़ किडनी ट्रांसप्लांट में भी पी जी आई आगे 

चंडीगढ़ : 22 जून, 2023 : (कार्तिका सिंह/ अर्थ प्रकाश):: 21 जून 1973 में PGI ने अपना पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया। फादर ऑफ़ नेफ्रोलॉजी डॉ के एस चुघ और डॉ आर वि एस यादव द्वारा PGIMER के प्रांगण में यह पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। बुधवार को किडनी ट्रांसप्लांट के 50 साल पूरे होने पर डिपार्टमेंट ऑफ़ रेनल सर्जरी द्वारा एक प्रभावशाली और आकर्षक गोल्डन जुबली समारोह का आयोजन किया गया। तब से लेकर अब तक इन 50 वर्षों के बेहतरीन सफर में करीब 4700 सफल रेनल ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। इन में जीवित अथवा मृतक दोनों ही तरह के डोनर्स का ट्रांसप्लांट किया गया।  देश भर से 200 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी वाले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पीजीआईएमईआर के डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल और नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाईजेशन (नोटो) के डायरेक्टर डॉ. अनिल कुमार ने की। डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि "देशभर में किडनी तथा अन्य ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए कुल 26 ऑर्गनिज़शन काम कर रही हैं। नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के अंतर्गत चल रहे थ्री-टियर सिस्टम, जिसके तहत नेशनल, स्टेट व् रीजनल स्तर पर डोनेशन को बढ़ावा देने का काम किया जायेगा, जो कि काफी सराहना योग्य है।"
इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि, "सरकार ने हाल ही में ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए कर्मचारियों को अर्नड व् अन्य लीव के साथ ही 42 लीव देने का फैसला किया है। इस पहल से सरकारी कर्मचारियों को प्रोत्साहन मिलेगा।" 

 

कार्डियक डेथ पर रीनल ट्रांसप्लांट में PGI ही इकलौता इंस्टिट्यूट 
रीनल ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. आशीष शर्मा ने बताया कि, 4700 सफल ट्रांसप्लांट्स के साथ ही, पीजीआई देश का सबसे बेहतरीन मेडिकल इंस्टिट्यूट है। वहीँ कार्डियक डेथ के बाद रीनल ट्रांप्लांट करने वाला ये पहला और इकलौता इंस्टिट्यूट है।  अभी तक 27 कार्डियक डेथ डोनर्स से सफल रीनल ट्रांसप्लांट्स किये जा चुके हैं।  ये काम पी जी आई द्वारा 2011 में शुरू किया गया। कार्डियक डेथ होने की सूरत में मरीज़ की किडनी 60 मिनट के भीतर ही ट्रांसप्लांट करनी पड़ती है।  नहीं तो इसके बाद किडनी किसी भी काम की नहीं रहती।  

इसके साथ ही साईमलटेनियस पैंक्रियाज़ किडनी ट्रांसप्लांट में भी पी जी आई में 2014 में शुरू किया गया।  अभी तक लगभग 40 सफल पैंक्रियाज़ किडनी ट्रांसप्लांट किये जा चुके हैं।  

 

इस साल जून 2023 तक हो चुके हैं 123 ट्रांसप्लांट
इसके साथ ही डेथ बॉडी अथवा ब्रेन डेड डोनर्स के केसों में किडनी की जांच करने के लिए नोरमोथर्मिक मशीन का इस्तेमाल शुरू कर डियेगा गया।  
इन् सभी गतिविधियों के साथ ही रीनल ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट की शुरुआत प्रोफेसर मुकुट मिंज के नेतृत्व में 2005 में हुई थी। अब तक 3350 किडनी मरीज को ट्रांसप्लांट की जा चुकी हैं। 50 वर्षों में, अब तक कुल मिलाकर 4700 ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं। जिनमें से 550 ब्रेन डेड ट्रांसप्लांट थे और बाकी जीवित किडनी डोनर ट्रांसप्लांट थे। पिछले साल 2022 में 200 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, और इस साल जून 2023 तक 123 ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। 

 

एल्डेस्ट और यंगेस्ट किडनी प्रपाठकर्ताओं को किया गया सम्मानित 
इन्ही ट्रांसप्लांट्स में से एक किडनी सुखदेव सिंह को उनके पिता द्वारा दी गई। उस वक़्त उनकी उम्र थी करीब 30 साल और उनके पिता की उम्र करीब 64 साल। उनकी किडनी आज 102 वर्ष की हो चुकी है और आज भी स्वस्थ रूप से काम कर रही है। वो PGI रेनल ट्रांसप्लांट्स में अब तक के सबसे लांगेस्ट रेनल ट्रांसप्लांट सर्वाइवर हैं। 
इसके साथ ही सबसे यंगेस्ट किडनी ट्रांसप्लांट सर्वाइवर 3 साल के रवजोत का पिछले साल किया गया था। उस बच्चे की आँखों की चमक और चेहरे की मुस्कान, उसके पेरेंट्स की आँखों में ख़ुशी के हलके से आंसू, उनकी दर्द के बाद की जीत को ब्यान करते हैं। रावजोत द्वारा केक काट कर डॉ आशीष को खिलाना वहां मौजूद हर दर्शक के लिए भावपूर्ण दृश्य था। 
चंडीगढ़ के ही कर्नल भूपेंद्र, जिनको 2 साल पहले किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। आज वो प्रतिदिन 2 से 3 घंटे गोल्फ खेलते हैं और अपनी पत्नी के लिए खाना भी बनाते हैं। वो कहते हैं कि हमें ऑर्गन डोनेशन के लिए आगे आना चाहिए।  
एक अन्य रिसीवर ऋषिकेश से पूनम ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि 'मुझे किडनी ख़राब होने के 5 साल बाद पति ने तलाक दे दिया था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। आठ साल तक डायलेसिस पर रहने के बाद, 2018 में एक 11 महीने के बच्चे की किडनी मुझे दी गई। मेरे पति ने सुलह की कोशिश की, लेकिन मैंने मन कर दिया।  संतुलित जीवन जीते हुए मैं एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह ज़िन्दगी जी रही हूँ।"
इन सभी ने PGI का तहेदिल से धन्यवाद किया।  और इन् सभी का यही कहना है कि हमें ऑर्गन और बॉडी डोनेशन के लिए आगे आना चाहिए। 
इन सफलताओं का कर्म अभी जारी है। इस अवसर पर, पी जी आई में रीनल ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के एक्स-हेड पदम् श्री, प्रो. मुकुट मिंज, प्रो. विनय सखूजा और प्रो. आर. के. सूरी भी मौजूद थे।